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लेखनी कहानी -26-Jul-2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 2



"रुपाली बेटा जा जाकर देख हंशित को कही कुछ कर ना बैठे। मैं तो सीड़िया नही चढ़ सकती जल्दी जल्दी, जा उसे समझा कही वो हंसु की बातो को दिल पर लेकर ये घर छोड़ कर ही ना चला जाए " हेमलता जी ने कहा घबराते हुए


नही माँ आप घबराओं नही मैं जाकर देखती हूँ, इन दोनों बाप बेटे का झगड़ा आज से थोड़ी है, ना जाने क्यू इन बाप बेटे की कुंडली नही मिलती एक दूसरे से। रुपाली कहती है।


"माँ तुम ही भैया को समझा सकती हो, उनसे कहो की पापा की  बात मान लिया करे,  या फिर खामोश रहा करे  लेकिन ना जाने क्यू वो दोनों एक दूसरे से उलझते रहते है" काव्या ने कहा


"तू आराम से नाश्ता ख़त्म कर और कॉलेज जा इस तरह बढ़ो के मामले में अपनी टांग मत अड़ा मेरी माँ मत बन मुझे पता है कि क्या करना है " रुपाली ने कहा


"इस घर में तो मेरी कोई इज़्ज़त ही नही किसी को कुछ कहना भी गलत है इस घर में, जा रही हूँ कॉलेज आप लोग आराम से नाश्ता करो, सबको भाई ही प्यारा लगता है मेरी तो कोई हैसियत ही नही है इस घर में छोटी जो हूँ " काव्या ने गुस्से में कहा और अपना बस्ता उठा कर चल दी



"अरे बेटा मेरी बात तो सुन, अपना नाश्ता तो ख़त्म करती जा, बेवजह बहु तुमने अपना गुस्सा काव्या पर उतार दिया अब दिन भर भूखी रहेगी " हेमलता जी ने कहा

"किस किस को खुश रखु माँ, जिसे देखो नाराज़ है इस घर में एक दूसरे से, बेटा बाप से नाराज़, बाप बेटे से नाराज़ और पति मुझसे नाराज़ बेटे का साथ देने कि वजह से और अब बेटी भी नाराज़ हो कर चली गयी। किस किस को सँभालु माँ होना भी कितना कठिन है, अपनी औलाद को एक साथ खुश रखने के लिए ना जाने कौन कौन से कड़वे घूँट पीना पड़ते है फिर भी औलाद को माँ कि कद्र नही होती जब चाहा नाराज़ हो जाते है जरा सी बात पर " रुपाली ने कहा रोंधी आवाज़ में


"मम्मी जी आप परेशान मत होइए हम सब है ना, सब संभाल लेंगे देखना शाम को जब पापा और ये दफ्तर से आएंगे तब ईश्वर ने चाहा तो सब ठीक होगा काव्या दीदी की भी आपसे नाराज़गी जल्द खत्म हो जाएगी और रही बात हंशित भैया की तो वो भी समय के साथ साथ सही हो जाएंगे उस हादसे ने उन्हें ऐसा बना दिया है उनका इंसानों पर से ही नही भगवान पर से भी भरोसा उठ गया है।


वो उस हादसे की वजह से खुद को इस तरह का बना रहे है देखना जब कोई  उनकी ज़िन्दगी में आएगी जो उन्हें ज़िन्दगी जीने का मकसद सिखाएगी तब वो बिलकुल पहले वाले हंशित भैया बन जाएंगे " रजनी ने अपनी सास रुपाली को समझाते हुए कहा


सही कहा रजनी बेटा तुमने, वो अपने दर्द किसी को बताता नही है वो अंदर ही अंदर उस हुए हादसे का ज़िम्मेदार खुद को मानता है। उसे तो बरसात से ही नफरत हो गयी है उस हादसे के बाद,बिजली बारिश होते ही वो खुद को समेट लेता था उस हादसे के बाद अब जाकर वो थोड़ा सही हुआ है। लेकिन बरसात और बारिश उसे अब भी अच्छे नही लगते जबकी मानसून आते ही उसका चेहरा खिल जाता था और प्रार्थना करता था कि बारिश हो जाए जिसमे वो खूब नहाये और मस्ती करे। उस हादसे ने तो मेरा पुराना हंशित छीन ही लिया जैसे मुझसे और उसे नास्तिक बना दिया। काश की वो हादसा नही हुआ होता काश की उस दिन


"बस बहु अब गुज़रा वक़्त याद करके खुद को परेशान और उदास मत करो जो ईश्वर की मर्ज़ी, होनी को कौन टाल सकता है, जो होना था वो हो गया अब जाओ ऊपर जाकर देखो की हंशित क्या कर रहा है उसने नाश्ता किया की नही " हेमलता जी ने रुपाली को बीच में ही टोकते हुए कहा


रुपाली जी अपने आंसू साफ करते हुए बोली " जी माँ अभी जाकर देखती हूँ रात भी पता नही खाना खाया था या नही उसने "ये कह कर रुपाली जी हाथ में नाश्ते की थाली सजा कर सीड़ियों की और बड़ती है।


हे! प्रभु मेरे घर की सारी दुख परेशानियों को हर लीजिये ताकि मेरा घर स्वर्ग बन सके हमारे सब के दिलो में एक दूसरे के प्रति प्रेम भावना भर दीजिये बस यही विनती हे मेरी। हेमलता जी ने कहा हाथ जोड़ कर


"जी दादी एक दिन आपकी प्रार्थना जरूर रंग लाएगी " रजनी ने कहा


"रजनी बेटा कल तुम दोनों डॉक्टर के पास गए थे, क्या बताया डॉक्टर ने तुम दोनों ठीक तो हो " हेमलता जी ने पूछा


"जी दादी, डॉक्टर ने बताया हम दोनों बिलकुल ठीक हे " रजनी ने कहा

"अगर सब कुछ ठीक हे तो अब तक तुम लोगो की औलाद क्यू नही हुयी " हेमलता जी ने पूछा


"दादी ईश्वर की मर्ज़ी " रजनी ने जवाब दिया

"हाँ, बेटा ये तो हे, लेकिन तुम उदास मत हो वो अपने नेक बन्दों की ज़रूर सुनता है देखना एक दिन तुम्हारी कोख भी हरी हो जाएगी और तुम भी माँ बनने के एहसास का अनुभव ज़रूर प्राप्त करोगी " हेमलता जी ने कहा


"जी दादी, बस ईश्वर में ही आस्था है मेरी तो, माँ ( रजनी की माँ )तो कह रही थी कि किसी बाबा को दिखा दे शायद उनके आशीर्वाद से कुछ हो जाए। लेकिन मेने मना कर दिया क्यूंकि होगा तो वही जो ईश्वर चाहेगा बाबा भी तो ईश्वर की अराधना करते है वो भी तो उन्ही से फरयाद करेंगे मेरी झोली भरने की, तो इससे अच्छा क्यू ना मैं खुद ही सच्चे मन से ईश्वर से फरयाद करू शायद वो मेरी दर्द भरी फरयाद सुन ले और बरसो से सूनी पड़ी कोख हरी हो जाए, " रजनी ने कहा


"सही कहा तुमने अपनी माँ से इन बाबाओ के चककर में फस कर इंसान ईश्वर से दूर होता जाता है और इन बाबाओ और फ़कीरो को ही भगवान बना बैठता है। तुम स्वयं सच्चे मन से उससे प्रार्थना करो वो तुम्हारी अवश्य सुनेगा। मनुष्य और ईश्वर के बीच सम्बन्ध स्थापित करने के लिए किसी तीसरे की ज़रुरत नही वो तो दिलो में बस्ता है बस आपकी नज़र और नियत अच्छी होनी चाहिए उसे देखने और महसूस करने के लिए और अटूट आस्था और तवक्कुल होना चाहिए फिर देखो तुम्हारी हर जाइज मनोकामना कैसे पूरी होती है बस मार्ग नही भटकना किसी के भी कहने पर " हेमलता जी ने कहा


उसके बाद हेमलता जी अपने कमरे में चली गयी माला जपने और रजनी दोपहर का खाना बनाने  की तैयारी के लिए नौकरो के साथ रसोई में चली गयी उनकी मदद करने।


"मुझे  रहना  ही नही है  अब इस घर में जहाँ मेरे प्रोफेशन की कद्र नही वहा  मुझे  नही रहना , वैसे भी मैं इतना कमा  लेता हूँ की मुझे  किसी के सहारे की ज़रुरत  नही " हंशित गुस्से में कह  रहा  था । अपने कमरे में बैठ कर

"बेटा मुझे  और अपनी दादी को भी छोड़  कर  चले जाओगे " दरवाज़े पर खड़ी रुपाली जी ने कहा


"अरे माँ तुम, माँ आप  और दादी की वजह  है  जो मैं इस घर में रह  रहा  हूँ वरना  तो मैं कब का इस घर से चला  जाता, जहाँ मेरे प्रोफेशन को गाली दी जाए सिर्फ इस वजह  से की इस प्रोफेशन में पैसे कम है। माँ हर  चीज  पैसा नही होती है  आदमी को अपने काम में दिलचस्पी और संतुष्टि भी मायने रखती  है , मुझे  सुकून मिलता है  भले ही मैं पापा जितने नोट नही कमाता  लेकिन जितने भी कमाता  हूँ उसमे खुश रहता  हूँ, अपनी ज़िन्दगी का हर एक पल  जीता  हूँ, अपने दिल की सुनता हूँ और ईमानदारी से अपना काम अंजाम देता हूँ बिना किसी को तकलीफ  पहुचाये।


लेकिन माँ अब बहुत  हुआ, अब मैं जा रहा  हूँ ये घर  छोड़  कर  बहुत  बर्दाश  कर ली पापा की बाते " हंशित ने कहा।


रुपाली जी हलकी सी मुस्कान चेहरे  पर  लेकर हंशित के नजदीक आयी  और उसके सर  पर  प्यार से हाथ  फेर कर  बोली " बेटा तू  इस घर से चला  जाएगा तो तेरी माँ का क्या होगा कभी सोचा  है  और तेरी दादी कितना प्यार करती है तुझसे वो तो तुझे  देख  कर  ही खुश  हो जाती है  उनके तो जीने की वजह  सिर्फ तू ही है, तेरे खातिर तो वो तेरे पापा तक  से लड़ जाती है  और तू  उन्हें छोड़  कर  चला  जाएगा।


बेटा हंशित  तुम्हारे पापा बाहर से जितने सख्त दिखते है अंदर से उतने ही नर्म है । वो बस  तुम्हारा भला  चाहते है, वो चाहते है  की तुम भी  उनकी तरह कुछ बनो तुम्हारी भी अलग पहचान हो इस बिज़नेस वर्ल्ड में।


"माँ मुझे  नही बनाना  कोई पहचान  मैं जैसा हूँ अपनी ज़िन्दगी में खुश हूँ, मुझे  नही बनना  कोई बड़ा  आदमी  मुझे  एक अच्छा और सच्चा  इंसान ही रहने  दो, मुझे  नही बनाना  कोई झूठी पहचान  और शान । मेरे लिए  मेरा काम ही सब  कुछ  है  और एक दिन मैं पापा को दिखा  दूंगा  की अख़बार  में नाम छपवाने के लिए बड़ा  आदमी होना जरूरी नही जबकी कुछ  ऐसा कर जाओ जो दूसरे के दिलो में आपकी छाप छोड़  जाए " हंशित ने कहा


"अच्छा बेटा जो दिल में आये  वो करो  लेकिन हमसे  दूर  जाने का फैसला त्याग दो, हम  सब  तुम्हारे साथ है । तुम्हारे पापा भी  समझ  जाएंगे एक दिन तुमको ईश्वर ने चाहा  तो, देखो तुम्हारी वजह से काव्या को भी नाराज़ कर  दिया मेने अब उसे भी मनाना  पड़ेगा  " रुपाली जी ने कहा


"अरे माँ तुमने फिर  काव्या को नाराज़ कर  दिया अब वो फिर  दिन भर भूखी रहेगी और ना जाने मुझे  क्या कुछ  कहेगी अपने दिल में, माँ मुझे  जाने दो जब  तक  मैं यहाँ रहूंगा  इस घर में कोई ना कोई परेशानी आते ही रहेगी  मेरी नादानियों की वजह  से ही सब  लोग नाराज़ रहते है  एक दूसरे से मुझे  जाने दो माँ " हंशित ने कहा


"तू  कही नही जाएगा इस घर को छोड़  कर  खामोशी से ये नाश्ता कर  और फिर  नीचे  आ  तेरी दादी तुझसे  मिलना चाहती  है  इतने दिनों बाद तो तू  सही हुआ है  मैं तुझे  दोबारा उस अतीत  में जाने नही दूँगी  तुझे  जो करना  है  कर लेकिन हमसे  दूर मत जा " रुपाली जी ने कहा


"ठीक  है  माँ, नही जाता लेकिन पापा से कह  देना कि वो मेरे प्रोफेशन के बारे में कुछ ना कहे  वरना  वो दिन इस घर में मेरा आख़री दिन होगा और माँ दोपहर में मेरे कुछ  दोस्त आएंगे  क्यूंकि हमें फोटो शूट करने के लिए जगह का डिसकस  करना है  क्यूंकि इस बार मेने वर्ल्ड फोटोग्राफी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है  अगर मैं उसमे प्रथम  आया  तो देखना पापा को अपने सवालों का जवाब  मिल जाएगा  कि नाम सिर्फ बिज़नेस करने से नही बनता  दुनिया में और भी बहुत काम है  जिनसे नाम कमाया  जा सकता  है  " हंशित ने कहा

"जरूर बेटा, तू  जरूर प्रथम  आएगा मेरी दुआ हर  दम  तेरे साथ है , ईश्वर  तुझे  ज़रूर कामयाब करेगा  चल  अब नाश्ता कर  ठंडा  हो रहा  है " रुपाली जी ने कहा


हंशित  का मोबाइल बज  उठता  है । आखिर  किसका फ़ोन  आया  था  हंशित  को जानने के लिए पढ़िए अगला भाग  







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8 Comments

Renu

27-Jul-2022 10:59 PM

सभी की मम्मी ऐसे ही करती हैं जब उनकी कोई बात ना मानी जाए, उनका ब्रह्मास्त्र (इमोशनल🤭ब्लैकमैल) हमेशा काम करता है।

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Aniya Rahman

27-Jul-2022 10:33 PM

Nyc

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Reena yadav

27-Jul-2022 05:16 PM

👍👍

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